pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

बेटी हुई परायी

4.3
522

वो खिलखिलाती हँसी, फिर याद न आयेगी कभी | बेटी हुई पराई, अब घर में नहीं कोई | वो नन्हे कदम आज भी याद आते है, मन को बहुत तडपाते है | बेटी को देख पिता की आँखे भर आयी, बेटी हो गयी परायी | जिसने घर को ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

नाव:- श्री. धनंजय शंकर पाटील. जन्म तारिख:- 07/12/1989 राहणार:- तालुका.मंगळवेढा, जिल्हा.सोलापूर. व्यवसाय:- शिक्षण. छंद:- कविता,कथा,चारोळी लेखन, गाणे ऐकणे. फ़ोन नंबर:- :- 8380916155 Email id:- [email protected] शालेय जीवनापासून मला कला विषयात विशेष रस असल्यामुळे, मराठी, हिंदी भाषेमध्ये काव्यरचना करू लागलो. नव-नवीन साहित्य प्रकार शिकण्याची खूप आवड असल्यामुळे निबंध, कथा, लेख असे लेखन करत गेलो. जेव्हा फेसबूक सोशल नेटवर्किंगच व्यासपीठ मिळालं, तेव्हा अनेक साहित्य प्रकार शिकलो. कविता, कथा, चारोळी, लेख असे साहित्यप्रकार (मराठी आणि हिंदी) भाषेतून लिहीत गेलो. शब्दांशी घट्ट अशी मैत्री जमली. आता हा शाब्दिक साहित्यरूपी प्रवास, मनाला हर्षानंद देतो. "शब्दों का ये कारवाँ, सदा यूँ ही चलता रहे | आपका स्नेह, प्यार मन को हरवक्त मिलता रहे |"

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    30 जनवरी 2018
    मार्मिक रचना बेटी हुई पराई ........
  • author
    Adarsh Singh
    25 अगस्त 2021
    nice
  • author
    22 अक्टूबर 2018
    सुंदर
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    30 जनवरी 2018
    मार्मिक रचना बेटी हुई पराई ........
  • author
    Adarsh Singh
    25 अगस्त 2021
    nice
  • author
    22 अक्टूबर 2018
    सुंदर