कभी सादा, कभी शीतल, कोई संतुष्ट, कोई व्याकुल, तृष्णा खत्म, गये फिर निकल, ना किया किसी ने बंद नल, कभी झर झर झरना, कभी बूंद बूंद रिसना, कभी प्यास मिटाना, तो कभी प्यास बढ़ाना, प्यास का न कोई इसके ...
नौकरी तो जिम्मेदारियों के लिये करते हैं, शौक तो आज भी लिखना ही है।
पत्रकारिता में परास्नातक।
उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत,
सार्थक लेखन के लिए हमेशा जुझारू,
दो पुस्तकें प्रकाशित
1) उर वाणी–पवार काव्य संकलन
2)ख्यालों का आसमान–कहानियां कुछ अपनी सी
प्रतिलिपि पर कई प्रतियोगिताओं में पुरुष्कृत। कई समाचार पत्रों, मैगजीन, किताबों और ऑनलाइन पत्रिकाओं में रचनाएं चयनित और सम्मानित।
सारांश
नौकरी तो जिम्मेदारियों के लिये करते हैं, शौक तो आज भी लिखना ही है।
पत्रकारिता में परास्नातक।
उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत,
सार्थक लेखन के लिए हमेशा जुझारू,
दो पुस्तकें प्रकाशित
1) उर वाणी–पवार काव्य संकलन
2)ख्यालों का आसमान–कहानियां कुछ अपनी सी
प्रतिलिपि पर कई प्रतियोगिताओं में पुरुष्कृत। कई समाचार पत्रों, मैगजीन, किताबों और ऑनलाइन पत्रिकाओं में रचनाएं चयनित और सम्मानित।
रिपोर्ट की समस्या
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