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बेघर बच्चे

4.5
11

सुबह का बेला, शहर के समीप देखा इक अचंभित वाकया, कच्ची उम्र के बच्चों कि टोली , बिखरे धुने बालों वाले ,मेले चिथरे कपड़े पहने पीठ के बल इक बड़ा पालीथीन का थैला लिए , पालीथीन ,करकटो को बीनते जा ...

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लेखक के बारे में
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Rajeev Ranjan

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 अक्टूबर 2020
    सटीक एवं वास्तविक रचना
  • author
    Sanaya
    23 अक्टूबर 2020
    बहुत बेहतरीन लिखा है
  • author
    23 अक्टूबर 2020
    हृदयस्पर्शी रचना. शुभकामनाएं.
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    23 अक्टूबर 2020
    सटीक एवं वास्तविक रचना
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    Sanaya
    23 अक्टूबर 2020
    बहुत बेहतरीन लिखा है
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    23 अक्टूबर 2020
    हृदयस्पर्शी रचना. शुभकामनाएं.