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बाज़ारू दुनियाँ

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दुनियाँ बहुत बाज़ारू है सब नफ़ा नुकसान सोचता है सामान इंसानों से बढ़कर है आज अब कौन इंसान को इंसान सोचता है मुसीबत में हो तो भगवान् सूझता है मज़े में हो तो ख़ुद को हीं भगवान् सोचता है दुनियाँ बहुत बाज़ारू ...

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लेखक के बारे में
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अंजय सिंह

मिजाज़ से शायर.....

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    आदित्य कुमार
    28 सितम्बर 2018
    कडवा है मगर,सच्चाई है इसमे ।
  • author
    Chetana Rathore
    04 अप्रैल 2021
    सही है बिलकुल 👍👍😊
  • author
    Manjit Singh
    22 जुलाई 2020
    bilkul saty hai
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  • author
    आदित्य कुमार
    28 सितम्बर 2018
    कडवा है मगर,सच्चाई है इसमे ।
  • author
    Chetana Rathore
    04 अप्रैल 2021
    सही है बिलकुल 👍👍😊
  • author
    Manjit Singh
    22 जुलाई 2020
    bilkul saty hai