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बावरा मन

4.4
109

नही कोई मेल मेरा और तेरा, फिर भी बावरा मन, बनाए बैठा है प्यार का बसेरा, तेरे सपने तुझे बुलाए मुझसे दूर कहीं, जहा कहीं भी नहीं है प्यार का आशियाना, तुझे तो ये भी पता नहीं कि प्यार , तन का समर्पण ...

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लेखक के बारे में
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अंबिका दूबे

समंदर जैसी विशाल जीवन के छोटी बड़ी लहरों जैसी चुनौतियों के साथ जिन्दगी रूपी नाव को पार करने में लगी हूं, सात समंदर पार जाने का लक्ष्य है, जो जरूर ही पूरा होगा।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Asha garg
    13 जून 2020
    बहुत ही सुंदर और बढ़िया
  • author
    Kavi Santosh
    13 जून 2020
    बहुत ही सुंदर सा रचना आपकी👌👌👌
  • author
    Monajain
    14 जून 2020
    very nice mam
  • author
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  • author
    Asha garg
    13 जून 2020
    बहुत ही सुंदर और बढ़िया
  • author
    Kavi Santosh
    13 जून 2020
    बहुत ही सुंदर सा रचना आपकी👌👌👌
  • author
    Monajain
    14 जून 2020
    very nice mam