बावरा मन चंद उलझी साँसें रिहा कर, उसने चैन की सांस ली। सुकून भरे उस लम्हे ने, नजाने कितनी ख्वाइशों को थी उसके दिल मे पनाह दी। मदहोश वो, हर ख्वाब अपने आब से सी रही थी। सच्चे प्यार की उम्मीद शायद ...
पेशे से मैं कंपनी सेक्रेटरी हूँ, पर स्वभाव से एक सपने देखने वाला यात्री। मेरे भीतर दो दुनिया बसती हैं— एक जो कागज़ों पर हस्ताक्षर मांगती है, और दूसरी जो कागज़ों पर कहानियाँ लिखवाती है।
लेखन मेरे लिए सिर्फ़ एक शौक नहीं, बल्कि वह पुल है जहाँ मेरा तर्क और मेरी कल्पना एक-दूसरे को गले लगाते हैं। जहाँ मैं वही बन सकता हूँ जो मैं हूँ— नियमों में बंधा हुआ भी, और सपनों में आज़ाद भी।
सारांश
पेशे से मैं कंपनी सेक्रेटरी हूँ, पर स्वभाव से एक सपने देखने वाला यात्री। मेरे भीतर दो दुनिया बसती हैं— एक जो कागज़ों पर हस्ताक्षर मांगती है, और दूसरी जो कागज़ों पर कहानियाँ लिखवाती है।
लेखन मेरे लिए सिर्फ़ एक शौक नहीं, बल्कि वह पुल है जहाँ मेरा तर्क और मेरी कल्पना एक-दूसरे को गले लगाते हैं। जहाँ मैं वही बन सकता हूँ जो मैं हूँ— नियमों में बंधा हुआ भी, और सपनों में आज़ाद भी।
आपकी बाकी सभी कहानियां पढ़ी बहुत अच्छा लिखते हो , ख़ासकर शब्दों का चुनाव बहुत ही सटीक है , इस कहानी की विशेष बात ये है कि ये अपने आप में एक खूबसरत कविता है ,मुझे तो बहुत पसंद आई... आप ऐसे ही हमेशा लिखते रहो और हम पसंद करते रहेंगे...😊😊
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