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बटुआ

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निशा  जयपुर जाने वाली बस में चढ़ी,बस लगभग खाली थी।वह इत्मीनान से ड्राइवर वाली सीट के ठीक पीछे तीन वाली सीट पर बैठ गई।गर्मी का मौसम था, प्यास से उसका गला सूखा जा रहा था, उसने नजर दौड़ाई, कोई दिखाई ...

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लेखक के बारे में
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Nirmala Sheoran

मैं निर्मला श्योराण हिंदी की शिक्षिका हूॅं। पढ़ने और लिखने का शौक बचपन से ही है। प्रतिलिपि पर तथा कुछ साहित्यिक समूहों पर लिखती हूॅं।

समीक्षा
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  • author
    18 सितम्बर 2021
    बहुत अच्छी कहानी
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    18 सितम्बर 2021
    बहुत अच्छी कहानी