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बत्ती गुल थी

4.4
182

‘बत्ती गुल थी’ उत्तंक जोशी © कल दिन – रात बत्ती गुल थी, आती कम, ज्यादा जाती थी, अनमोल समय की बरबादी थी, कल दिन-रात बत्ती गुल थी | ‘ इन्वर्टर ’ , ‘ बैकअप ’ , सारा फेल था, बिजली विभाग का अद्भुत ...

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लेखक के बारे में
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उत्तंक जोशी
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dream Walker "गढ़वाल"
    04 जनवरी 2021
    काफी सच्ची कविता है। पढ़ कर बेसमय जाती बिजली की याद आ गई।
  • author
    Manjit Singh
    02 जुलाई 2020
    kuchh kuchh theek hai
  • author
    Shiddaram Hadpad. "Shiddaram Hadpad"
    13 सितम्बर 2018
    Shiddaram Hadpad india
  • author
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  • author
    Dream Walker "गढ़वाल"
    04 जनवरी 2021
    काफी सच्ची कविता है। पढ़ कर बेसमय जाती बिजली की याद आ गई।
  • author
    Manjit Singh
    02 जुलाई 2020
    kuchh kuchh theek hai
  • author
    Shiddaram Hadpad. "Shiddaram Hadpad"
    13 सितम्बर 2018
    Shiddaram Hadpad india