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"बसंत ऋतु"

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फूलों का अंग अंग खिला कलियों में आया निखार हैं.. रंग बिखरे..रंग बरसें..आई "बसंत ऋतु" की बहार है..!! खेतों में पीली पीली सरसों लहराए.. बागों में पक्षियों भी चहचाहाते जाऐ... गेहूं की बालियाँ इठलाते हुए ...

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समीक्षा
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    मनोज चौकीकर
    20 మార్చి 2022
    हम पिया से मिल न सके,रिवाज कैसा है 👌🌺👌🌺👌🌺👌🌺👌🌺👌 बहुत बहुत बहुत सुंदर काव्य प्रस्तुति,,,,कंचन जी🌺🌺🙏🙏
  • author
    Sohan Dabiyal
    20 మార్చి 2022
    वाह बेहतरीन कंचन👌👌👌
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    मनोज चौकीकर
    20 మార్చి 2022
    हम पिया से मिल न सके,रिवाज कैसा है 👌🌺👌🌺👌🌺👌🌺👌🌺👌 बहुत बहुत बहुत सुंदर काव्य प्रस्तुति,,,,कंचन जी🌺🌺🙏🙏
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    Sohan Dabiyal
    20 మార్చి 2022
    वाह बेहतरीन कंचन👌👌👌