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बस तुम तक

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4.2

आज पक्का चले जाओगे, मेरे रोकने से नहीं रुकोगे ? उसका हाथ अभी भी मेरे हाथों में था | इतना कहते-कहते उसकी आंखों में भर आयी | जब तक मैं उसे रोक पाता तब तक उसकी मासूमियत उसके गालों से टपक चुकी थी | ...