सिमटा होता हैं पूरा घर
फिर भी
और समेट कर रखने कीचाह
रखती हैं
स्त्री !! .. बिखरा होता हैं
उसका वजूद
घर के कोने कोने में
और परायी लड़की होती हैं
स्त्री !! जिन्दगी जितने भी
गमो में डुबो दे
और भीगी ...
नीलिमा शर्मा
कोई ख़ुशबू उदास करती है कहानी संग्रह की लेखिका ,मुट्ठी भर अक्षर,खुसरो दरिया प्रेम का , आईना सच नही बोलता हाशिये का हक़ ,मूड्स ऑफ लॉक डाउन , लुका छिपी, मृगतृष्णा की संपादक ओर लेखक
सारांश
नीलिमा शर्मा
कोई ख़ुशबू उदास करती है कहानी संग्रह की लेखिका ,मुट्ठी भर अक्षर,खुसरो दरिया प्रेम का , आईना सच नही बोलता हाशिये का हक़ ,मूड्स ऑफ लॉक डाउन , लुका छिपी, मृगतृष्णा की संपादक ओर लेखक
रिपोर्ट की समस्या
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