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बारिश की पहली बूंदे।

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घोर अंधेरे काले बादलों में एक छोटी सी किरण जगी, जैसे किसी उम्मीद में बैठा था कोई अजनबी, घुमड़- घुमड़ न जानें क्यों फिर कोई एक आस जगी, सूखी धरती में उगते फूलों की जैसे कोई प्यास बुझी, यही तो है सावन ...

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लेखक के बारे में
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Kiran Arora

ख्याल भी आपका, जज़्बात भीआपके, मेरे तो बस अल्फ़ाज़ हैं, नए रंगों में रंगे मेरे लफ़्ज़, शायद आपकी अपनी जिंदगी की एक किताब है (खुराक -ए शायराना)

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    mohan lal
    05 जून 2025
    बहुत ही शानदार रचना की है आपने मैं आपकी रचना जब भी आप लिखते हो ध्यान से पढ़ता हूं आप भी मेरी रचना भूतों की नगरी को एक बार जरूर पढ़ें और अपना आशीर्वाद प्रदान करें बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏💐💐💐🙏🙏🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏
  • author
    05 जून 2025
    बेहतरीन लेखन शैली को दर्शाती उत्कृष्ट रचना
  • author
    Rakesh Chaurasia
    05 जून 2025
    वाह बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने।
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  • author
    mohan lal
    05 जून 2025
    बहुत ही शानदार रचना की है आपने मैं आपकी रचना जब भी आप लिखते हो ध्यान से पढ़ता हूं आप भी मेरी रचना भूतों की नगरी को एक बार जरूर पढ़ें और अपना आशीर्वाद प्रदान करें बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏💐💐💐🙏🙏🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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    05 जून 2025
    बेहतरीन लेखन शैली को दर्शाती उत्कृष्ट रचना
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    Rakesh Chaurasia
    05 जून 2025
    वाह बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने।