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बारिश और दोस्त

4.2
24960

वह कांप रही है। बारिश की बूंदें उसके छोटे से ललाट पर चमक रही हैं। ‍`सोचा नहीं था कि बारिश इतनी तेज होगी और हवाएं इतनी ठंडी।‍` उसकी आवाज़ में बारिश का गीलापन और हवाओं की सिहरन दोनों बोल रहे हैं। मैं ...

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लेखक के बारे में
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प्रियदर्शन

जन्म: 24 जून, 1968, रांची अंग्रेज़ी में एमए (रांची विश्वविद्यालय) करीब तीन दशक से पत्रकारिता शुरुआत रांची के अख़बारों न्यू मेसेज़ और रांची एक्सप्रेस से. 1996 से 2002 के बीच जनसत्ता में सहायक संपादक 2003 से अब तक एनडीटीवी में कार्यरत प्रकाशित किताबें उसके हिस्से का जादू (कहानी संग्रह, 2007, राधाकृष्ण प्रकाशन) इतिहास गढ़ता समय (आलेख संग्रह, 2009, सामयिक प्रकाशन) नष्ट कुछ भी नहीं होता (कविता संग्रह, 2012, राधाकृष्ण प्रकाशन) ख़बर बेख़बर (पत्रकारिता पर केंद्रित लेखों की किताब, सामयिक प्रकाशन) ग्लोबल समय में कविता (आलोचना, 2014, वाणी प्रकाशन) ग्लोबल समय में गद्य (आलोचना, 2014, वाणी प्रकाशन) बारिश धुआं और दोस्त (कहानी संग्रह, 2015, राधाकृष्ण प्रकाशन) नए दौर का नया सिनेमा (सिने-आलोचना, 2015, वाणी प्रकाशन) कविता संग्रह का मराठी अनुवाद काहीत नष्ट होत नसतं प्रकाशनाधीन अनुवाद आधी रात की संतानें (उपन्यास, मिडनाइट्स चिल्ड्रेन, सलमान रुश्दी, वाणी प्रकाशन) क़त्लगाह (उपन्यास, टॉर्चर्ड ऐंड डैम्ड, रॉबर्ट पेन, राधाकृष्ण प्रकाशन) बहुजन हिताय (नर्मदा पर केंद्रित किताब, द ग्रेटर कॉमन गुड, अरुंधती रॉय, राजकमल प्रकाशन) पर्यावरणवादी पीटर स्कॉट की जीवनी (ओरिएंट लांगमैन) पर्यावरण प्रहरी (लेखों का संग्रह- द ग्रीन टीचर, नेशनल बुक ट्रस्ट) कुछ ग़मे दौरां (लेख संग्रह, के बिक्रम सिंह, वाणी प्रकाशन) संपादन कहानियां रिश्तों की: बड़े बुज़ुर्ग (राजकमल प्रकाशन) पत्रकारिता में अनुवाद पुरस्कार कहानी संग्रह उसके हिस्से का जादू के लिए स्पंदन पुरस्कार 2009

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  • author
    Shikha Pandey
    30 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    बहुत प्यारी कहानी पर अधूरी सी लगी
  • author
    nidhi Bansal "Nidhi"
    29 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    जब तक जिंदगी रंगो से ना सजी हो जिंदगी का मजा क्या है।सभी रंग मिलकर ही तो इन्द्रधनुषी जिदंगी बनाते है।
  • author
    मिलन ध्यानी
    17 മെയ്‌ 2020
    गुरु यार तुम रौला हो इस एप्प पर। सारे प्रतिलिपि पर लोगों ने कचरा फैलाया हुआ है, सीखने लायक या मन लुभाने लायक कहानी मिलना मुश्किल होता जाता है। और फिर तुम याद आते हो, पढ़ते ही दिल खुश हो जाता है। कोई तरीका हो तुम्हारी और कहानियां पढ़ने का, तो बता दो यार। बहुत मारा फिरता हूँ कहानी ढूंढते हुए।
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    Shikha Pandey
    30 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    बहुत प्यारी कहानी पर अधूरी सी लगी
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    nidhi Bansal "Nidhi"
    29 ആഗസ്റ്റ്‌ 2018
    जब तक जिंदगी रंगो से ना सजी हो जिंदगी का मजा क्या है।सभी रंग मिलकर ही तो इन्द्रधनुषी जिदंगी बनाते है।
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    मिलन ध्यानी
    17 മെയ്‌ 2020
    गुरु यार तुम रौला हो इस एप्प पर। सारे प्रतिलिपि पर लोगों ने कचरा फैलाया हुआ है, सीखने लायक या मन लुभाने लायक कहानी मिलना मुश्किल होता जाता है। और फिर तुम याद आते हो, पढ़ते ही दिल खुश हो जाता है। कोई तरीका हो तुम्हारी और कहानियां पढ़ने का, तो बता दो यार। बहुत मारा फिरता हूँ कहानी ढूंढते हुए।