pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

बारहा गोर दिल झुका लाया

4.2
1210

बारहा गोर दिल झुका लाया अबके शर्ते-वफ़ा बजा लाया क़द्र रखती न थी मताए-दिल सारे आलम को मैं दिखा लाया दिल कि यक क़तरा-ए-ख़ूँ नहीं है बेश एक आलम के सर बला लाया सब पे जिस बार ने गिरानी की उसको यह नातवाँ ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
मीर तकी मीर

परिचय मूल नाम : मोहम्मद तकी जन्म : 1723 आगरा (अकबरपुर) भाषा : उर्दू, फारसी निधन - 21 सितम्बर 1810 ( लखनऊ )

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Navin Gautam
    04 फ़रवरी 2021
    बेहतरीन लिखा है आपने आप भी मेरी रचनाओं को पढ़ें एवं अपने विचार प्रस्तुत करें
  • author
    dr.sabiya Khan
    29 अक्टूबर 2022
    nice 👌👌👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Navin Gautam
    04 फ़रवरी 2021
    बेहतरीन लिखा है आपने आप भी मेरी रचनाओं को पढ़ें एवं अपने विचार प्रस्तुत करें
  • author
    dr.sabiya Khan
    29 अक्टूबर 2022
    nice 👌👌👌