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बांटते रहो मधुर मुस्कान

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बांटते रहो मधुर मुस्कान, करते रहो प्रकृति का भान, व्यवहार को अपने सहज करो, प्रकृति पर थोड़ा रहम करो, चिंता की लकीरें मिट जाए , खिलखिला कर मुस्काए जहान। बांटते रहो...................... पशु पक्षियों ...

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लेखक के बारे में
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Shikha Arora
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  • author
    shailesh srivastava
    28 जून 2022
    बहुत खूब
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