pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

बांसुरी

4.3
629

बांसुरी वादन से खिल जाते थे कमल वृक्षों से आँसू बहने लगते स्वर में स्वर मिलाकर नाचने लगते थे मोर गायें खड़े कर लेती थी कान पक्षी हो जाते थे मुग्ध ऐसी होती थी बांसुरी तान नदियाँ कलकल स्वरों को बांसुरी ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
संजय वर्मा
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का पूरा सम्मान करती बहुत सुन्दर कविता ।
  • author
    Manjit Singh
    01 जुलाई 2020
    kaavy Mann behlata hai
  • author
    16 अगस्त 2018
    सुन्दर रचना
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का पूरा सम्मान करती बहुत सुन्दर कविता ।
  • author
    Manjit Singh
    01 जुलाई 2020
    kaavy Mann behlata hai
  • author
    16 अगस्त 2018
    सुन्दर रचना