रचना का प्रवाह कमजोर है। व्याकरण की दृष्टि से रचना साधारण से भी निचले स्तर की है। "खाना बनाया" नहीं "पकाया" जाता है। कक्षा के बाहर खड़े रहकर "शिक्षक द्वारा पढ़ाने को सुना जाता है देखा नहीं, हाँ शिक्षक द्वारा लिखे जाने पर देखा जा सकता है।" रचना में गलतियाँ बहुत अधिक हैं।
रचनाकार को स्तरीय लेखन के लिए भाषा शैली, प्रवाह, व्याकरण पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
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nice story लेकिन अंत में नायिका तो अकेली ही रही , मोहित तो सेटल हो गया लेकिन उसका पश्चाताप भी दिखाया जाना चाहिए था। नायिका आर्थिक रूप से तो समृद्ध हो गई लेकिन दिल से फिर भी खाली ही रही
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