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बसंत कब आया

4.3
143310

बसंत कब आया और उसके तन मन को छू कर कब गुजरा उसे मालूम नही शायद ........!!

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लेखक के बारे में

ना शोहरतों की ख्वाहिशें ना नफरतों की गुंजाइशें ना कोई गिला हैं ना कोई शिकवा बस जिंदगी तुझे जीने की आरज़ू है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rajesh Naraian Dar
    29 ജൂലൈ 2021
    रचना का प्रवाह कमजोर है। व्याकरण की दृष्टि से रचना साधारण से भी निचले स्तर की है। "खाना बनाया" नहीं "पकाया" जाता है। कक्षा के बाहर खड़े रहकर "शिक्षक द्वारा पढ़ाने को सुना जाता है देखा नहीं, हाँ शिक्षक द्वारा लिखे जाने पर देखा जा सकता है।" रचना में गलतियाँ बहुत अधिक हैं। रचनाकार को स्तरीय लेखन के लिए भाषा शैली, प्रवाह, व्याकरण पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
  • author
    kittu Sharma
    15 ഒക്റ്റോബര്‍ 2021
    nice story लेकिन अंत में नायिका तो अकेली ही रही , मोहित तो सेटल हो गया लेकिन उसका पश्चाताप भी दिखाया जाना चाहिए था। नायिका आर्थिक रूप से तो समृद्ध हो गई लेकिन दिल से फिर भी खाली ही रही
  • author
    Sarita Mishra
    18 ഏപ്രില്‍ 2018
    कहानी ठीक है । आई.आई.टी. पास आउट तो कहीं अच्छा ही कर रहा होगा ।कुछ अधूरापन से लगा ।
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    Rajesh Naraian Dar
    29 ജൂലൈ 2021
    रचना का प्रवाह कमजोर है। व्याकरण की दृष्टि से रचना साधारण से भी निचले स्तर की है। "खाना बनाया" नहीं "पकाया" जाता है। कक्षा के बाहर खड़े रहकर "शिक्षक द्वारा पढ़ाने को सुना जाता है देखा नहीं, हाँ शिक्षक द्वारा लिखे जाने पर देखा जा सकता है।" रचना में गलतियाँ बहुत अधिक हैं। रचनाकार को स्तरीय लेखन के लिए भाषा शैली, प्रवाह, व्याकरण पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।
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    kittu Sharma
    15 ഒക്റ്റോബര്‍ 2021
    nice story लेकिन अंत में नायिका तो अकेली ही रही , मोहित तो सेटल हो गया लेकिन उसका पश्चाताप भी दिखाया जाना चाहिए था। नायिका आर्थिक रूप से तो समृद्ध हो गई लेकिन दिल से फिर भी खाली ही रही
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    Sarita Mishra
    18 ഏപ്രില്‍ 2018
    कहानी ठीक है । आई.आई.टी. पास आउट तो कहीं अच्छा ही कर रहा होगा ।कुछ अधूरापन से लगा ।