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बनारस की ये गालियां शायद मुझे कुछ याद दिलाती है

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बनारस की ये गालियां शायद मुझे कुछ याद दिलाती है ,खोया हुआ कुछ वक़्त मिल गया हो ,जैसे कोई अधूरा सपना सा पूरा होगया ,शायद मैंने बहुत कुछ खो दिया और बहुत कुछ पा लिया हो , ये बनारस की गलियां  बहुत कुछ ...

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लेखक के बारे में
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Rudra Pratap Singh

खुद का तो कुछ पता नही बस हर दिन रहते है तैयार आशियां बदलने को ......Follow me on Instagram rudra.singhofficial थोड़ा गुम सुम रहता ,न किसी से कुछ कहता हूँ, बस अपनी ही बातों में मद मस्त रहता हूँ, कानो में बाजे लगाए बस गानें सुनते रहते हूँ, किसी से न कुछ कहना न किसी का कुछ सुनना बस अपनी ही धुन में कुछ नए ख़्वाब बुनता रहता हूँ, थोड़ा शर्मिला हूँ पर दोस्ती में बहुत लचीला हूँ, मेरे दोस्त बहुत हैं पर कुछ खास नहीं क्योंकि उनको लगेगा है मेरी दोस्ती में कोई बात नहीं, क्योंकी उन्हैं मेरा लिखा हुआ पड़ने की अदालत, उनके हिसाब से में बहुत लिखता अब उन्हें ये कौन बताए में खुद को कहां अच्छा कहता हूँ, न किसी से लड़ना न किसी से झगड़ना बस चुप चाप रहना , हाँ में थोड़ा औरों से अलग हूँ, इसलिए सबके लिए पागल हूँ, क्योंकि में रुद्रा हूँ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Disha Raj
    18 ஜனவரி 2019
    Nice
  • author
    mukesh kumaru "कुमार"
    18 ஜனவரி 2019
    wah g
  • author
    Writer
    18 ஜனவரி 2019
    kya baat hai
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    Disha Raj
    18 ஜனவரி 2019
    Nice
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    mukesh kumaru "कुमार"
    18 ஜனவரி 2019
    wah g
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    Writer
    18 ஜனவரி 2019
    kya baat hai