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हिन्दी

बलिदान

4.6
30394

मनुष्य की आर्थिक अवस्था का सबसे ज्यादा असर उसके नाम पर पड़ता है। मौजे बेला के मँगरू ठाकुर जब से कान्सटेबल हो गए हैं, इनका नाम मंगलसिंह हो गया है। अब उन्हें कोई मंगरू कहने का साहस नहीं कर सकता। कल्लू ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Deepak Yadav
    19 सितम्बर 2018
    आज भी खेती किसानी करने वाले कि किस्मत गिरधारी जैसी ही है।समय के साथ साथ किसानों की दुर्दशा बढ़ती जा रही है।हर साल ना जाने कितने किसान काल के गाल में समाते जा रहे है।
  • author
    vinod sharma
    21 मई 2019
    मुंशी जी की हर एक कहानी का सजीव चित्रण होता है।जीवंत लेखनी के धनी मुशी जी को नमन🙏🙏
  • author
    RKX
    06 अगस्त 2018
    और कहानियों की तरह मुंशी प्रेमचंद का प्रभाव साफ दिखाई देता है
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    Deepak Yadav
    19 सितम्बर 2018
    आज भी खेती किसानी करने वाले कि किस्मत गिरधारी जैसी ही है।समय के साथ साथ किसानों की दुर्दशा बढ़ती जा रही है।हर साल ना जाने कितने किसान काल के गाल में समाते जा रहे है।
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    vinod sharma
    21 मई 2019
    मुंशी जी की हर एक कहानी का सजीव चित्रण होता है।जीवंत लेखनी के धनी मुशी जी को नमन🙏🙏
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    RKX
    06 अगस्त 2018
    और कहानियों की तरह मुंशी प्रेमचंद का प्रभाव साफ दिखाई देता है