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बकरी और सियार

4.1
14073

एक बकरी थी। रोज़ सुबर जंगल चली जाती थी - सारा दिन जंगल में चरती और जैसे ही सूर्य विदा लेते इस धरती से, बकरी जंगल से निकल आती। रात के वक्त उस जंगल में रहना पसन्द नहीं था। रात को वह चैन की नींद सो जाना ...

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अज्ञात
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    akash tomar
    12 मई 2017
    यह मेरे बचपन की सबसे ज्यादा पसंदीदा कहानियो में से एक है मुझे आज भी याद है जब माँ रात को सोते हुए हमें ये कहानी सुनाया करती थी लव यू माँ and pratilipi thanks a lot to add such innocent story keep it up .many many thanks to u
  • author
    VICKY MANSOORI
    01 जुलाई 2020
    बच्चा समझ रखा है क्या जो पंच तंत्र की कहानी सुना रहे हो,, और इस कहानी में भी बहुत गलतियां हैं जैसे सियार के पेट मे बच्चे ज़िंदा, बकरी ने सियार को मार दिया और सियार बिना कुछ करे आराम से मर गया,😊😊😊😊😊😊😊😊
  • author
    Shalini chauhan
    27 अप्रैल 2019
    kg class me jo padhi thi usme bacche door nahi kholte qki wo siyar ki awaj pehchan lete hai aur bacche apni soojh boojh se siyar ko chalta kar dete hai .
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    akash tomar
    12 मई 2017
    यह मेरे बचपन की सबसे ज्यादा पसंदीदा कहानियो में से एक है मुझे आज भी याद है जब माँ रात को सोते हुए हमें ये कहानी सुनाया करती थी लव यू माँ and pratilipi thanks a lot to add such innocent story keep it up .many many thanks to u
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    VICKY MANSOORI
    01 जुलाई 2020
    बच्चा समझ रखा है क्या जो पंच तंत्र की कहानी सुना रहे हो,, और इस कहानी में भी बहुत गलतियां हैं जैसे सियार के पेट मे बच्चे ज़िंदा, बकरी ने सियार को मार दिया और सियार बिना कुछ करे आराम से मर गया,😊😊😊😊😊😊😊😊
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    Shalini chauhan
    27 अप्रैल 2019
    kg class me jo padhi thi usme bacche door nahi kholte qki wo siyar ki awaj pehchan lete hai aur bacche apni soojh boojh se siyar ko chalta kar dete hai .