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बाइज्जत बरी

4.6
7574

आज 3 महीने बाद पिताजी ने बड़ी मस्कत के बाद मेरी बेल करवाई है। पूरे 3 महीने बाद जेल से आजादी मिली है। हालाँकि मुझे इस आजादी की कोई खुशी नहीं है। क्योंकि बिना किसी गुनाह के 3 महीने जेल में गुजारना ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • author
    Dharmendra Bhatt
    06 ഏപ്രില്‍ 2021
    बढ़िया प्रस्तुती.
  • author
    Shiv Kumar Gupta
    25 ജനുവരി 2020
    स्त्रियों के साथ अकसर दुराचार होता रहता है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनके। में कई कानून बने है परंतु कभी कभी उन कानूनों का दुरुपयोग करती हैस्त्रियां ।एक भले व्यक्ति को समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ती क्योंकि व्यक्ति को समाज उसी दिन अपराधी मान लेता है जिस दिन उस पर कैस दर्ज होता ,हकीकत तो सामने आने में बहुत समय लग जाता है और कभी कभी तो सच्चाई सामने अा ही नहीं पाती। ऊंट किस करवट बैठेगा कई परिरिस्थितियो पर निर्भर करता है।
  • author
    निवेदिता केशरी
    20 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    ऐसी समस्या हमारे आधुनिक समाज में अक्सर देखी जाती है। ज्यादातर समाज लडकियों को बिना कुछ सोचे समझे सही मानते हैं और लड़को को गलत जिसके कारण एक अच्छे,सुलझेगी हुए प्रगतिशील यूवक की जीते जी हत्या।हो जाती है और उनके स्वाभिमान का भी हनन होता है।
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    Dharmendra Bhatt
    06 ഏപ്രില്‍ 2021
    बढ़िया प्रस्तुती.
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    Shiv Kumar Gupta
    25 ജനുവരി 2020
    स्त्रियों के साथ अकसर दुराचार होता रहता है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनके। में कई कानून बने है परंतु कभी कभी उन कानूनों का दुरुपयोग करती हैस्त्रियां ।एक भले व्यक्ति को समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ती क्योंकि व्यक्ति को समाज उसी दिन अपराधी मान लेता है जिस दिन उस पर कैस दर्ज होता ,हकीकत तो सामने आने में बहुत समय लग जाता है और कभी कभी तो सच्चाई सामने अा ही नहीं पाती। ऊंट किस करवट बैठेगा कई परिरिस्थितियो पर निर्भर करता है।
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    निवेदिता केशरी
    20 സെപ്റ്റംബര്‍ 2018
    ऐसी समस्या हमारे आधुनिक समाज में अक्सर देखी जाती है। ज्यादातर समाज लडकियों को बिना कुछ सोचे समझे सही मानते हैं और लड़को को गलत जिसके कारण एक अच्छे,सुलझेगी हुए प्रगतिशील यूवक की जीते जी हत्या।हो जाती है और उनके स्वाभिमान का भी हनन होता है।