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बगुला हंस चाल

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हंस चुभें ज्ञान रूपी मोती,             बगुला चुभें कीड़े मकोड़े। हंस चाल चलिए अंतश में,               मिलेंगे अमृत थोड़े थोड़े।। ---------------------------------------------    दोनों के बाह्य रूप, ...

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लेखक के बारे में
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Dineshkumar Joshi

मेरा नाम दिनेश कुमार जोशी है मैं पेशे से एक शिक्षक हु। मैं छतीसगढ़ के अंतर्गत दुर्ग जिले का निवासी हु। मैं सत्य के समीप कविता ,गीत लिखना पसन्द करता हूं। एवं समय का सदुपयोग करना मेरा फितरत है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Santosh kumar Chaturvedi
    27 जुलाई 2021
    सुपर बहुत बहुत ही प्रेरक व ज्ञानवर्धक काव्य👌👌👌👌👌
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    Santosh kumar Chaturvedi
    27 जुलाई 2021
    सुपर बहुत बहुत ही प्रेरक व ज्ञानवर्धक काव्य👌👌👌👌👌