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बदनाम गली का इश्क

4.1
174787

रात के 11:30 का वक्त था । धीरज अपनी आखिरी सवारी को छोड़कर घर की तरफ बढ़ रहा था ।तभी उसने देखा सड़क पर एक खूबसूरत लड़की खड़ी थी। हाथ का इशारा करती हुई उसकी टैक्सी रोक रही थी। अचानक से जमीन पर गिर ...

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लेखक के बारे में
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रीधि गोयल

पंजाब में पली-बढ़ी और अब एक साधारण सी गृहिणी। कविताएं लिखना और कहानियां लिखना और पढ़ना मेरा एक शौक है। कभी-कभी हुई बिखरी जिंदगी को समेटती और खुद को ही समझने की कोशिश में क्योंकि जो खुद को अच्छे से समझ पाते हैं वो ही दूसरों को समझते हैं।। 💥 बहुत जी लिए नकाब ओढ़ कर अब कुछ हकीकत भी जीएं। 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    P.s. Lovwanshi
    26 জুলাই 2019
    कहानी बहुत अच्छी है । मानवता को परिभाषित भी करती है लेकिन हिना चाहती तो बदनाम गलियों से निकल सामाजिकता के रास्ते पर आती तो ओर ज्यादा अच्छी हो सकती थी
  • author
    Babita Chaudhary
    16 অগাস্ট 2019
    कहानी बहुत ही सुंदर है।सच्ची महोब्बत कही भी किसी से भी हो सकती हैं।
  • author
    prabhakar007 kr
    24 মে 2019
    धीरज ने अपने दिल पर "धीरज" रखा। अपनी आँखों में वह एक प्रेम और आशा की सुनहली किरण लिए था, पर आह.....नियती के क्रूर पंजों ने उसके सपने को निर्ममता पूर्वक गला घोंट दिया। काश......ये राज और समाज प्यार के पवित्र सिद्धांत को समझ पाता.....। अति सुन्दर लेखन, रिद्धि गोयल जी
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    P.s. Lovwanshi
    26 জুলাই 2019
    कहानी बहुत अच्छी है । मानवता को परिभाषित भी करती है लेकिन हिना चाहती तो बदनाम गलियों से निकल सामाजिकता के रास्ते पर आती तो ओर ज्यादा अच्छी हो सकती थी
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    Babita Chaudhary
    16 অগাস্ট 2019
    कहानी बहुत ही सुंदर है।सच्ची महोब्बत कही भी किसी से भी हो सकती हैं।
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    prabhakar007 kr
    24 মে 2019
    धीरज ने अपने दिल पर "धीरज" रखा। अपनी आँखों में वह एक प्रेम और आशा की सुनहली किरण लिए था, पर आह.....नियती के क्रूर पंजों ने उसके सपने को निर्ममता पूर्वक गला घोंट दिया। काश......ये राज और समाज प्यार के पवित्र सिद्धांत को समझ पाता.....। अति सुन्दर लेखन, रिद्धि गोयल जी