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बड़की बारीवाला भूत

3.4
12134

एक सुनी हुई घटना पर आधारित भूतही कहानी.

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लेखक के बारे में

प्रभाकर पाण्डेय जन्मतिथि :०१-०१-१९७६ जन्म-स्थान :गोपालपुर, पथरदेवा, देवरिया (उत्तरप्रदेश) शिक्षा :एम.ए (हिन्दी), एम. ए. (भाषाविज्ञान)  पिछले 18-19 सालों से हिन्दी की सेवा में तत्पर। पूर्व शोध सहायक (Research Associate), भाषाविद् के रूप में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) मुम्बई के संगणक एवं अभियांत्रिकी विभाग में भाषा और कंप्यूटर के क्षेत्र में कार्य। कई शोध-प्रपत्र राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत। वर्तमान में सी-डैक मुख्यालय, पुणे में कार्यरत। विभिन्न हिंदी, भोजपुरी पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashu Pragya Mishra
    10 मई 2018
    नितांत वाहियात। उच्च कोटि की टुच्च कहानी लिखी है आपने। धिक्कार है, आपकी स्याही सूख क्यों न गई? आपकी कलम एक बार भी थरथराई नहीं थी ऐसा शाहकार लिखते वक़्त। मैं अगर ऐसा लफ़्ज़ों का मुज्जसमा खड़ा करने के बारे में सोच भी लूँ तो शायद 10-15 मिनट तो चिलम की पिनक से जूझने में ही लग जाएंगे
  • author
    Vedprakash Thakur
    29 मार्च 2018
    I would not have given one star for such a nuisance... But I wanted to express my views on this story... IT'S A COMPLETE LOSS OF TIME AND ENERGY...
  • author
    Santosh Bastiya
    29 जून 2018
    अच्छा है
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    Ashu Pragya Mishra
    10 मई 2018
    नितांत वाहियात। उच्च कोटि की टुच्च कहानी लिखी है आपने। धिक्कार है, आपकी स्याही सूख क्यों न गई? आपकी कलम एक बार भी थरथराई नहीं थी ऐसा शाहकार लिखते वक़्त। मैं अगर ऐसा लफ़्ज़ों का मुज्जसमा खड़ा करने के बारे में सोच भी लूँ तो शायद 10-15 मिनट तो चिलम की पिनक से जूझने में ही लग जाएंगे
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    Vedprakash Thakur
    29 मार्च 2018
    I would not have given one star for such a nuisance... But I wanted to express my views on this story... IT'S A COMPLETE LOSS OF TIME AND ENERGY...
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    Santosh Bastiya
    29 जून 2018
    अच्छा है