बढ़ाए पुत्र पिता के धर्मा – इस कहावत का अर्थ है कि एक पुत्र अपने पिता के अच्छे कार्यों, मूल्यों और धर्म को आगे बढ़ाकर उनके नाम को और ऊँचा करता है। नीचे एक ऐसी कहानी प्रस्तुत है जो इस कहावत को ...
मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।
सारांश
मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।
रिपोर्ट की समस्या
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