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बड़े पापा

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बड़े पापा सभी बच्चे  उसके कंधे पर झूलते गोदी पर बैठते  कोई भी बच्चा आकर सरपट गोद पर चढ़ जाता  बड़े पापा ने कभी अपने कपड़े की फिक्र नही की  धूल-मिट्टी पैरों की गर्द बच्चे तो भगवान का रूप होते है ...

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लेखक के बारे में

रचना की अभिव्यक्ति का तलबगार हूं ना जाने कब से तड़फन है ख्वाहिशों की आजमाइश है बस यूं ही चला आया मैं बस अब लिखना है उकेरना है किरदारों को ख्वाब को क्या चाहिए एक पंख इसी का ही नाम तो अभिव्यक्ति है शायद

समीक्षा
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    शीला शर्मा
    26 सितम्बर 2022
    बहुत सुन्दर मन को छूने वाली रचना है आपकी,, बड़ी उम्र में ही ज्यादा प्यार और सम्मान की जरूरत होती है। बच्चों को समझना चाहिए,, बहुत भावपूर्ण रचना है 🙏💐💐🍁🙏
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    शीला शर्मा
    26 सितम्बर 2022
    बहुत सुन्दर मन को छूने वाली रचना है आपकी,, बड़ी उम्र में ही ज्यादा प्यार और सम्मान की जरूरत होती है। बच्चों को समझना चाहिए,, बहुत भावपूर्ण रचना है 🙏💐💐🍁🙏