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बादल से भरा आसमान

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नीला था कभी जो गगन , आज वो झूठी कहानी सा लगा। हर कोना  ढक गया रुई के पर्दे से, बादल चुपचाप कुछ कहने लगा। कभी फिसलते फुहार बनकर, कभी गरजते गुस्से की तर्ज पर। कभी उदासी में डूबे, सन्नाटे से, कभी ...

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लेखक के बारे में
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Mr& Mrs Dharnia ji
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Chaurasia
    10 ஏப்ரல் 2025
    वाह बहुत बढ़िया काव्य रचना लिखी है आपने।
  • author
    Sunil Kumar
    10 ஏப்ரல் 2025
    💯💯💯💯💯
  • author
    हर्षा शुक्ला
    10 ஏப்ரல் 2025
    बहुत ख़ूब 👌👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rakesh Chaurasia
    10 ஏப்ரல் 2025
    वाह बहुत बढ़िया काव्य रचना लिखी है आपने।
  • author
    Sunil Kumar
    10 ஏப்ரல் 2025
    💯💯💯💯💯
  • author
    हर्षा शुक्ला
    10 ஏப்ரல் 2025
    बहुत ख़ूब 👌👌