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बादल के उस पार

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4.3

सुलक्षणा पंचतत्व मे विलीन हो रही थी। आग की लपटों ने उसको अपने आग़ोश मे ले लिया था । उसके जलने के साथ ही उसके और अमोल के सपने भी धू-धू कर पंचतत्व मे धुआँ हो रहे थे । इतना बड़ा दुख कोइ कैसे सहन कर पाता ...