एक ऋषि का आश्रम । ऋषि बैठकर भगवान शंकर के शिवलिंग के पूजन में पूरी तरह ध्यान लगाये हैं। तभी एक दस बारह वर्ष का एक लड़का वहां आता है।उसी समय बहुत तेज आंधी चलने लगती है । ऋषि के पूजन में व्यवधान न ...
अपने विषय में क्या लिखूँ, प्रतिलिपि ने मौका दिया, लेखनी चली और मैं लेखिका बन गई 🥰 यह प्रतिलिपि के कारण ही संभव हो सका! मैंने इतिहास विषय में अॉनर्स किया है और मैं एक गृहणी हूँ! पढ़ने लिखने में तो रूचि हमेशा से रही है! लेकिन लेखनी को मंच तो प्रतिलिपि ने ही प्रदान किया! धन्यवाद प्रतिलिपि और धन्यवाद सभी पाठक गणों का जिनकी समीक्षाएं लिखने का हौसला प्रदान करती है! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सारांश
अपने विषय में क्या लिखूँ, प्रतिलिपि ने मौका दिया, लेखनी चली और मैं लेखिका बन गई 🥰 यह प्रतिलिपि के कारण ही संभव हो सका! मैंने इतिहास विषय में अॉनर्स किया है और मैं एक गृहणी हूँ! पढ़ने लिखने में तो रूचि हमेशा से रही है! लेकिन लेखनी को मंच तो प्रतिलिपि ने ही प्रदान किया! धन्यवाद प्रतिलिपि और धन्यवाद सभी पाठक गणों का जिनकी समीक्षाएं लिखने का हौसला प्रदान करती है! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
कर्ण ने अपना विद्यार्थी धर्म बहुत अच्छे से निभाया था, एक गुरु को कभी भी अपने शिष्य में फर्क नहीं करना चाहिए, भगवान परशुराम को उसका क्षत्रिय होना तो दिख गया लेकिन उनकी गुरु भक्ति नहीं दिखी😢😢
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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एक गूरू को अपने शिष्य से केवल गुरुभक्ति की ज़रूरत होती है और कर्ण में गुरुभक्ति की कोई कमी नहीं थे...वे परशुराम भगवान जी को श्रद्धा के साथ पूजते हुए विद्या लिए थे...यहा परशुराम जी को उनकी गुरुभक्ति देखनी चाहिए थी ना की जात पात...लेकिन हम तो इंसान है भगवान की लीला वे ही जाने...प्रणिपात...🙏एक अच्छे कार्य के लिए...
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कर्ण ने अपना विद्यार्थी धर्म बहुत अच्छे से निभाया था, एक गुरु को कभी भी अपने शिष्य में फर्क नहीं करना चाहिए, भगवान परशुराम को उसका क्षत्रिय होना तो दिख गया लेकिन उनकी गुरु भक्ति नहीं दिखी😢😢
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एक गूरू को अपने शिष्य से केवल गुरुभक्ति की ज़रूरत होती है और कर्ण में गुरुभक्ति की कोई कमी नहीं थे...वे परशुराम भगवान जी को श्रद्धा के साथ पूजते हुए विद्या लिए थे...यहा परशुराम जी को उनकी गुरुभक्ति देखनी चाहिए थी ना की जात पात...लेकिन हम तो इंसान है भगवान की लीला वे ही जाने...प्रणिपात...🙏एक अच्छे कार्य के लिए...
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