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बचपन से पचपन तक

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बचपन की चन्द बातें याद आ गयी जब अपनों ने ही आपस में रिश्ते तोड़ लिए बूढ़ी आँखें भी जब कुछ न कर सकीं तो उन्होंने  भी आँखों के बाँध तोड़ दिए और घर के साथ दिलों के भी टूकड़े टुकड़े हो ही गए।। अक्सर ...

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लेखक के बारे में
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abhilasha vishwakarma

सफर जारी है | लिखना तो बहुत कुछ चाहती हूँ दोस्तों लेकिन समय नही निकाल पाती हूँ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    30 मई 2020
    स्मरण पूर्ण रचना। बीच बीच में सुंदर पंक्तियां आप लिखी है। 💐💐💐💐🙏🙏🙏
  • author
    Reena Singh "Aarti"
    06 मार्च 2023
    बहुत सुंदर
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    30 मई 2020
    स्मरण पूर्ण रचना। बीच बीच में सुंदर पंक्तियां आप लिखी है। 💐💐💐💐🙏🙏🙏
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    Reena Singh "Aarti"
    06 मार्च 2023
    बहुत सुंदर