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बचपन की बारिश - कागज की नाव

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ढ़ल जाती है हर चीज वक्त के साथ उम्र के ढ़लते पड़ाव पर एक बचपन ही है जो कभी बूढ़ा नहीं होता ...बचपन के खेल उनके मेल मिलाप दोस्त उनकी बातें और मुलाकातें साथ बिताए समय की यादें एक चित्रपट की तरह आज ...

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लेखक के बारे में
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Alok Shrivastava

मैं बैंक ऑफ इंडिया से मार्केटिंग प्रमुख के पद से आंचलिक कार्यालय भोपाल से सेवा निवृत्त हूं ! बैंक सेवाओं के दौरान लेख , लघु एवं प्रेरक कथाएं , हास्य चुटकुले जोक आदि लिखता रहा हूं जो प्रकाशित भी हुए है ! कई उच्च स्तरीय बैंकिंग एवं अन्य प्रतियोगिता में पुरस्कृत हुआ हूं ! वर्ष 2010 में मेरे एक लेख ' मार्केटिंग की पाठशाला ' को ए बी सी आई द्वारा सृजन लेखन हेतु पुरस्कृत किया गया है !

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Abhishek Shrivastava
    16 जुलाई 2020
    बढ़िया कहानी। वास्तविकता के नज़दीक। अनुभव पे आधारित।
  • author
    Neha Shri
    16 जुलाई 2020
    bahut badiya 👌👌👌
  • author
    kajal shrivastava
    16 जुलाई 2020
    bahut hi shaandaar......vastavikta k najdeek....aankho k saamne bacnpan ki yaadein aa gayi superb
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    Abhishek Shrivastava
    16 जुलाई 2020
    बढ़िया कहानी। वास्तविकता के नज़दीक। अनुभव पे आधारित।
  • author
    Neha Shri
    16 जुलाई 2020
    bahut badiya 👌👌👌
  • author
    kajal shrivastava
    16 जुलाई 2020
    bahut hi shaandaar......vastavikta k najdeek....aankho k saamne bacnpan ki yaadein aa gayi superb