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बचपन की बारिश और कागज़ की नाव (डिजि़टल लेटर से सम्मानित)

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"अम्मा , आज मैं भी चलूँगी तुम्हारे साथ।" "तू क्या करेगी चलकर? घर पर ही रह।" "नहीं , मुझे भी चलना है। तुम रोज बिट्टू को ही ले जाती हो। मुझे कभी साथ नहीं ले जाती।" सात साल की गुंजा ने अपनी माँ सरोज ...

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लेखक के बारे में
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Rupa Rai

रूपा राय 'मौली' पुरस्कृत पुस्तके - नंदिनी , जब जागो तभी सवेरा प्रकाशित कहानियां- उजाला मासिक पत्रिका , घर संसार तिमाही पत्रिका, बालवाड़ी हिंदी पत्रिका , दैनिक जागरण समाचार पत्र कहाँनियों का रेडियो प्रसारण- युवा जगत प्रोग्राम * प्रतिलिपि पर पुरस्कृत कहानिया----- ** आखिरी खत (प्रथम पुरस्कार-- रोमांश फिक्शन फेस्टिवल प्रतियोगिता) ** सच्चा वादा (टॉप 10 -- रोमांस फिक्शन फेस्टिवल प्रतियोगिता) ** अमोली ( टॉप 15-- में किड्स फेस्टिवल प्रतियोगिता) ** आशाएं ( टॉप 10 --पोएट्री लेखन प्रतियोगिता) **वर्दी वाली (चौथा स्थान -स्वदेश प्रतियोगिता) ** वाइट वारियर्स - गॉड़ इज़ अॉन अर्थ (टॉप टेन -स्वदेश प्रतियोगिता)

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anup Jain
    16 जुलाई 2020
    बेहतरीन. बहुत ही सुंदर और प्यारी कहानी 👌🏻👌🏻👌🏻
  • author
    Khushboo Devi
    20 जुलाई 2020
    बहुत अच्छी सीख भरी कहानी है 👌👌👌👌
  • author
    Shipra Mishra
    16 जुलाई 2020
    सच में ख़ुशी पैसों से नहि आती 👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anup Jain
    16 जुलाई 2020
    बेहतरीन. बहुत ही सुंदर और प्यारी कहानी 👌🏻👌🏻👌🏻
  • author
    Khushboo Devi
    20 जुलाई 2020
    बहुत अच्छी सीख भरी कहानी है 👌👌👌👌
  • author
    Shipra Mishra
    16 जुलाई 2020
    सच में ख़ुशी पैसों से नहि आती 👌