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बचपन की बारिश और कागज़ की नाव..!!

4.5
4586

प्यारी सखी माही की शादी....कलकत्ते की भीड़भाड़ और रसगुल्ले इन्हीं तीन चीजों ने तो निहारिका को मजबूर कर दिया था 7 दिनों पहले ही कलकत्ता जाने के लिए। वो ढ़ेर सारे कपड़े लिए और ऑफिस से सात दिनों की ...

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लेखक के बारे में
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Dipti Biswas

फेरी वेतुला

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Hemalata Godbole
    16 जुलाई 2020
    दीप्ति जी बहुत दिन बाद । कहानी बहुत जीवंत है प्रकृति के खिलाफ बहुत किया मानव ने तो प्रकृति कैसे क्या करे;?परिणाम सामने है।शुभकामनाएँ ।
  • author
    Meenakshi Sodhi
    18 जुलाई 2020
    too many incidents all together......at one point loose sympathy n feel irritation
  • author
    Rahul ingde
    18 फ़रवरी 2021
    ना जाने कितने दिनों बाद प्रतिलिपि पे कोई कहानी पढ़ी है, और आज जब मन्न में कहानी पढ़ने का खायाल आया तो सामने आपकी कहानी आयी, जिसे बेहद सुंदरता और सहेजता से लिखा गया है, इस कहानी को पढ़ कर मन्न तृप्त हो गया. इस कहानी को लिखने के लिए शुक्रिया
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    Hemalata Godbole
    16 जुलाई 2020
    दीप्ति जी बहुत दिन बाद । कहानी बहुत जीवंत है प्रकृति के खिलाफ बहुत किया मानव ने तो प्रकृति कैसे क्या करे;?परिणाम सामने है।शुभकामनाएँ ।
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    Meenakshi Sodhi
    18 जुलाई 2020
    too many incidents all together......at one point loose sympathy n feel irritation
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    Rahul ingde
    18 फ़रवरी 2021
    ना जाने कितने दिनों बाद प्रतिलिपि पे कोई कहानी पढ़ी है, और आज जब मन्न में कहानी पढ़ने का खायाल आया तो सामने आपकी कहानी आयी, जिसे बेहद सुंदरता और सहेजता से लिखा गया है, इस कहानी को पढ़ कर मन्न तृप्त हो गया. इस कहानी को लिखने के लिए शुक्रिया