प्यारी सखी माही की शादी....कलकत्ते की भीड़भाड़ और रसगुल्ले इन्हीं तीन चीजों ने तो निहारिका को मजबूर कर दिया था 7 दिनों पहले ही कलकत्ता जाने के लिए। वो ढ़ेर सारे कपड़े लिए और ऑफिस से सात दिनों की ...
ना जाने कितने दिनों बाद प्रतिलिपि पे कोई कहानी पढ़ी है,
और आज जब मन्न में कहानी पढ़ने का खायाल आया तो सामने आपकी कहानी आयी, जिसे बेहद सुंदरता और सहेजता से लिखा गया है, इस कहानी को पढ़ कर मन्न तृप्त हो गया.
इस कहानी को लिखने के लिए शुक्रिया
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