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बचपन के दोहे

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उम्र छोटी थी पर सपने, बड़े देखा करते थे यह दुनिया जो भी थी, हम दोस्तों पर मरते थे।। दोस्त है क्या बला, हम नहीं जानते थे खाते मिल बांट कर, अंतरंग दोस्त बताते थे।। आज तन्हाई में, बीते याद आई कहां ...

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लेखक के बारे में
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Dr Brijwasi Gupta

ना कवि, ना लेखक, ना ही इतिहासकार हूँ… जीवन है अबूझ पहेली, उसके कुछ पल लिखता हूँ.. मैं शब्द नही,अहसास लिखता हूं समझना थोड़ा मुश्किल है साहब लोग अल्फाज़ पढ़ते हैं।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nidhi Sehgal "सेहगल"
    05 नवम्बर 2020
    बहुत शानदार रचना
  • author
    Babita Shukla
    05 नवम्बर 2020
    बेहतरीन लेखन बहुत प्रभावी है
  • author
    Santosh Kumar
    05 नवम्बर 2020
    बहुत बेहतरीन लिखा है आपने।
  • author
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  • author
    Nidhi Sehgal "सेहगल"
    05 नवम्बर 2020
    बहुत शानदार रचना
  • author
    Babita Shukla
    05 नवम्बर 2020
    बेहतरीन लेखन बहुत प्रभावी है
  • author
    Santosh Kumar
    05 नवम्बर 2020
    बहुत बेहतरीन लिखा है आपने।