उम्र छोटी थी पर सपने, बड़े देखा करते थे यह दुनिया जो भी थी, हम दोस्तों पर मरते थे।। दोस्त है क्या बला, हम नहीं जानते थे खाते मिल बांट कर, अंतरंग दोस्त बताते थे।। आज तन्हाई में, बीते याद आई कहां ...
ना कवि, ना लेखक, ना ही इतिहासकार हूँ…
जीवन है अबूझ पहेली, उसके कुछ पल लिखता हूँ..
मैं शब्द नही,अहसास लिखता हूं
समझना थोड़ा मुश्किल है साहब
लोग अल्फाज़ पढ़ते हैं।
सारांश
ना कवि, ना लेखक, ना ही इतिहासकार हूँ…
जीवन है अबूझ पहेली, उसके कुछ पल लिखता हूँ..
मैं शब्द नही,अहसास लिखता हूं
समझना थोड़ा मुश्किल है साहब
लोग अल्फाज़ पढ़ते हैं।
रिपोर्ट की समस्या
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