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बचपन

4.5
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याद आता है वो बचपन जब ना कोई फ़िक्र ना कोई चिन्ता सुबह होती थी गर्मी की छुट्टियों मे स्कूल तोबन्द होते थे पर कोई सारे जामुन ना बीन कर ले जाये इसलिये जल्दी उठ कर भइया संग घर केपिछवाड़े दौड़ जाते ...

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लेखक के बारे में
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इरा जौहरी

मै इरा जौहरी स्वतन्त्र रचनाकार हूँ मेरा जन्म उत्तप्रदेश के प्रतापगढ शहर में ७/११/६५ को हुआ था ।मेरी माता का नाम श्रीमति कमल सक्सेना व पिताजी का नाम श्रीभुवनेश्वर दयाल सक्सेना है ।मेरा एक छोटा भाई आशीष सक्सेना है । १९८७ मे लखनऊ विश्वविद्यालय से नृतत्व मे परास्नातक किया ।सन्१९८७ नवम्बर मे ही श्री राजेन्द्रकुँवर व श्रीमति प्रकाशवती जी के सबसे छोटेपुत्र श्रीराकेश जौहरी से विवाह बन्धन मे बंध कर जीवन के नये अध्याय मे क़दम रखा ।शशाँक व ईशान दोनो बच्चो के बड़े होने पर दोनो के सहयोग से फेसबुक पर क़दम रखा ।पहले भोजन सम्बन्धी पोस्ट पर उनके विषय मे लिखा फिर धीरे धीरे अभी लगभग छ: माह पूर्व स्वतन्त्र रचनाकार के रूप मे भी लिखने लगी और साथियों नें उत्साहजनक प्रतिक्रिया दे कर हमें आगे बढ़ने के लिये प्रेरित किया ।इसके लिये मै अपने सभी साथियों की बहुत आभारी हूँ । प्रतिलिपि मे भी मै इसी सफर के दौरान जुड़ी और सभी साथियो का प्रोत्साहन भरा स्नेह पाया ।उम्मीद करती हूँ आगे भी आप सब ऐसे ही हमारा उत्साह वर्धन करते रहेंगे ।धन्यवाद ! इरा जौहरी स्वतन्त्र रचनाकार लखनऊ

समीक्षा
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  • author
    Sandhya Gupta
    13 অক্টোবর 2020
    बहुत सुंदर लिखा है आपने मेरे बचपन से ये सारी बातें मेल खा रही हैं ।
  • author
    Annapurna Mishra
    07 ডিসেম্বর 2017
    एक ऐसी झलक बचपन की,जो बहुतों को अपना बचपन याद दिला दे
  • author
    Renu
    06 ডিসেম্বর 2017
    Poora bachpan aankho ke samne ghum gaya..
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    Sandhya Gupta
    13 অক্টোবর 2020
    बहुत सुंदर लिखा है आपने मेरे बचपन से ये सारी बातें मेल खा रही हैं ।
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    Annapurna Mishra
    07 ডিসেম্বর 2017
    एक ऐसी झलक बचपन की,जो बहुतों को अपना बचपन याद दिला दे
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    Renu
    06 ডিসেম্বর 2017
    Poora bachpan aankho ke samne ghum gaya..