इस बागीचे में रात के साढ़े तीन बजे दो चीखें हवा को चीरती हुए, सन्नाटे को बेधती हुई हर अमावश्या की रात के ठीक पहले वाली रात सुनाई देती है । एक चीख लम्बे - लम्बे घास से सरसराती हुई बागीचे के उत्तर ...
टाटा स्टील में ३९ साल इस्पात के उत्पादन विभाग में काम करते हुए पिघलते पसीने के बीच भी अगर साहित्य - सृजन की अकुलाहट को जिन्दा रखने में सफल हो पाया हूँ तो यह सरस्वती माँ की कृपा और आप सबों के स्नेह के कारण ही हो सका है। यही मेरा परिचय भी है और उपलब्धि भी। वर्ष 1973 – 74 में जेपी आंदोलन में अगुआई, जेपी के तरुण शांति सेना के सिपाही बने । आपातकाल के दौरान वारंट जारी होने के कारण भूमिगत होना पड़ा । उसी समय 1975 जनवरी से टाटा स्टील में साक्षात्कार में चयनित होकर नौकरी शुरू की। 16 साल उत्पादन विभागों में तथा 19 साल तक योजना विभाग में कार्यरत । नौकरी के दरम्यान ही इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़मेटल्स, कोलकता से मेतल्लुर्गी*(धातुकी) में इंजीनियरिंग , इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मार्केटिंग मैनेजमेंट। टाटा स्टील के इन हाउस मैगजीन में कई टेक्निकल पेपर प्रकाशित। अपने योजना विभाग में इन हाउस ट्रेनिंग कार्यक्रम के तहत 'ज्ञानअर्जन' सेशन का आयोजन, योजना विभाग के ट्रेनिंग गाइड का प्रकाशन। जनवरी 2014 से सेवानिवृति के बाद हिन्दी साहित्य की सेवा का संकल्प । विद्यार्थी जीवन में कॉलेज की मैगजीन में हिन्दी कविताओं का प्रकाशन । उससमय पटना से प्रकाशित अख़बार आर्यावर्त, इंडियन नेशन, प्रदीप तथा सर्चलाईट में कविता तथा लेखों का प्रकाशन । जेपी आंदोलन के समय जेपी के विद्यार्थी एवं युवाशाखा के वाराणसी से प्रकाशित मुख्यपत्र ' तरुणमन ' में लेखों का लगातार प्रकाशन । वर्ष 2005 से 2007 के बीच गया में मानस चेतना समिति के मुख्यपत्र ' चेतना ' में कविता एवं लेखों का प्रकाशन। हिन्दी साहित्य के लिए कुछ कर सकने की जिद ने सृजन के लिए प्रेरित किया। अपना ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com में ब्लॉग लेखन। 2015 में कहानी संग्रह "छाँव का सुख" हिन्द युग्म दिल्ली से प्रकाशित। 2018 जनवरी में उपन्यास "डिवाइड़र पर कॉलेज जंक्शन" भी हिंद युग्म से प्रकाशित। वर्तमान में सिंहभूम हिन्दी सहित्य सम्मेलन, जमशेदपुर और अखिल भारतीय साहित्य परिषद् से सक्रिय रूप से जुड़े हैं। यू टयूब चैन्नेल marmagya net पर मेरे काव्य पाठ को देख और सुन सकते हैं। कविता संग्रह "कौंध" अमेज़न किंडल पर ई बुक के रूप में 2019 में प्रकाशित | इसे इस लिंक से डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है: https://amzn.to/2KdRnSP कहानी संग्रह "छाँव का सुख" भी अमेज़न किंडल के इस लिंक से डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है ; https://amzn.to/2lboioB. हिंदी प्रतिलिपि पर कहानियों और कविताओं का निरंतर प्रकाशन | "बोलो कि लब आजाद हैं" के तहत मेरा लेख "बेबाकीपन या बेहयापन" 2016 में पुरस्कृत | 2019 में ऐतिहासिक फिक्शन पर आधारित कहानियों के लिए आयोजित प्रतियोगिता "कालचक्र" में मेरी कहानी "प्रतिशोध का पुरस्कार" भी पुरस्कृत|
टाटा स्टील में ३९ साल इस्पात के उत्पादन विभाग में काम करते हुए पिघलते पसीने के बीच भी अगर साहित्य - सृजन की अकुलाहट को जिन्दा रखने में सफल हो पाया हूँ तो यह सरस्वती माँ की कृपा और आप सबों के स्नेह के कारण ही हो सका है। यही मेरा परिचय भी है और उपलब्धि भी। वर्ष 1973 – 74 में जेपी आंदोलन में अगुआई, जेपी के तरुण शांति सेना के सिपाही बने । आपातकाल के दौरान वारंट जारी होने के कारण भूमिगत होना पड़ा । उसी समय 1975 जनवरी से टाटा स्टील में साक्षात्कार में चयनित होकर नौकरी शुरू की। 16 साल उत्पादन विभागों में तथा 19 साल तक योजना विभाग में कार्यरत । नौकरी के दरम्यान ही इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़मेटल्स, कोलकता से मेतल्लुर्गी*(धातुकी) में इंजीनियरिंग , इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मार्केटिंग मैनेजमेंट। टाटा स्टील के इन हाउस मैगजीन में कई टेक्निकल पेपर प्रकाशित। अपने योजना विभाग में इन हाउस ट्रेनिंग कार्यक्रम के तहत 'ज्ञानअर्जन' सेशन का आयोजन, योजना विभाग के ट्रेनिंग गाइड का प्रकाशन। जनवरी 2014 से सेवानिवृति के बाद हिन्दी साहित्य की सेवा का संकल्प । विद्यार्थी जीवन में कॉलेज की मैगजीन में हिन्दी कविताओं का प्रकाशन । उससमय पटना से प्रकाशित अख़बार आर्यावर्त, इंडियन नेशन, प्रदीप तथा सर्चलाईट में कविता तथा लेखों का प्रकाशन । जेपी आंदोलन के समय जेपी के विद्यार्थी एवं युवाशाखा के वाराणसी से प्रकाशित मुख्यपत्र ' तरुणमन ' में लेखों का लगातार प्रकाशन । वर्ष 2005 से 2007 के बीच गया में मानस चेतना समिति के मुख्यपत्र ' चेतना ' में कविता एवं लेखों का प्रकाशन। हिन्दी साहित्य के लिए कुछ कर सकने की जिद ने सृजन के लिए प्रेरित किया। अपना ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com में ब्लॉग लेखन। 2015 में कहानी संग्रह "छाँव का सुख" हिन्द युग्म दिल्ली से प्रकाशित। 2018 जनवरी में उपन्यास "डिवाइड़र पर कॉलेज जंक्शन" भी हिंद युग्म से प्रकाशित। वर्तमान में सिंहभूम हिन्दी सहित्य सम्मेलन, जमशेदपुर और अखिल भारतीय साहित्य परिषद् से सक्रिय रूप से जुड़े हैं। यू टयूब चैन्नेल marmagya net पर मेरे काव्य पाठ को देख और सुन सकते हैं। कविता संग्रह "कौंध" अमेज़न किंडल पर ई बुक के रूप में 2019 में प्रकाशित | इसे इस लिंक से डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है: https://amzn.to/2KdRnSP कहानी संग्रह "छाँव का सुख" भी अमेज़न किंडल के इस लिंक से डाउनलोड कर पढ़ा जा सकता है ; https://amzn.to/2lboioB. हिंदी प्रतिलिपि पर कहानियों और कविताओं का निरंतर प्रकाशन | "बोलो कि लब आजाद हैं" के तहत मेरा लेख "बेबाकीपन या बेहयापन" 2016 में पुरस्कृत | 2019 में ऐतिहासिक फिक्शन पर आधारित कहानियों के लिए आयोजित प्रतियोगिता "कालचक्र" में मेरी कहानी "प्रतिशोध का पुरस्कार" भी पुरस्कृत|
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