"प्रिय प्रवास" पहला महाकाव्य, खड़ी बोली का कहलाया। "हरिऔध जी" ने 15 अप्रैल, 1865 में, आजमगढ़ में जन्म पाया।। श्री भोलानाथ, रूक्मिणी देवी थे,इ इन कविवर के मात-पिता। वैदेही वनवास, चुभते चौपदे, ...
नारी तुम केवल वस्तु नही , हो अमर प्रेम की अमरकथा।।
युग युग से जलती आई हो,अब बदलो अपनी करुण व्यथा।।
मैं एक शिक्षिका,एक पत्नी,एक प्रेमिका,एक मां .... एक स्त्री हूं।।
सारांश
नारी तुम केवल वस्तु नही , हो अमर प्रेम की अमरकथा।।
युग युग से जलती आई हो,अब बदलो अपनी करुण व्यथा।।
मैं एक शिक्षिका,एक पत्नी,एक प्रेमिका,एक मां .... एक स्त्री हूं।।
रिपोर्ट की समस्या
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