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औरत....कुछ यूँ भी (कविता)

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औरत ..... कहते हैं शर्म औरत का गहना है सुखी वही, जिसने इसे पहना है मेरा विरोध नहीं किसी से भी पर एक छोटा सा सवाल है... कहाँ कितनी शर्म दिखानी है मेरे दिमाग में बस यही बवाल है ...

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Gunjan Rajput

निरंतर प्रयासरत कुछ बेहतर लिखने को.... U can follow my insta ac (poetry_by_heartt) for more poetry. And (poetry_article_hindi_)

समीक्षा
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  • author
    Chandrabali
    16 जून 2020
    Kuch sahi hai..
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    Chandrabali
    16 जून 2020
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