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औरते सोती नही

4.5
424

औरते , सोती नही, जागती है रातभर, क्योकि वह है एक माँ , एक पत्नी और एक गृहणी। दिन मे, बनकर फिरनी, बाँधती पैरो मे घूँघरू, रात मे संगीत के स्वरो से, भरती दरारे शिकायतो की सभी। औरते , सोती नही। देखती है, ...

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लेखक के बारे में
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रचना सक्सेना
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    09 जुलाई 2022
    औरतें सभी रूपों में वंदनीय हैं, सम्मान की पात्र हैं , इन्हें सम्मान देने को प्रेरित करती सुन्दर रचना । हार्दिक साधुवाद
  • author
    शुभम पंथ
    11 अक्टूबर 2019
    कविता लिखने की ऐसी शैली पहली बार देखी है, बिल्कुल नया तरीका और कविता का संदेश भी बहुत सराहनीय है
  • author
    Manjit Singh
    10 सितम्बर 2020
    कविता बहुत ही भावुक, मर्मस्पर्शी,चेतना को झंझोड़ने वाली है।आपको लाख बार नमन
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    अरविन्द सिन्हा
    09 जुलाई 2022
    औरतें सभी रूपों में वंदनीय हैं, सम्मान की पात्र हैं , इन्हें सम्मान देने को प्रेरित करती सुन्दर रचना । हार्दिक साधुवाद
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    शुभम पंथ
    11 अक्टूबर 2019
    कविता लिखने की ऐसी शैली पहली बार देखी है, बिल्कुल नया तरीका और कविता का संदेश भी बहुत सराहनीय है
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    Manjit Singh
    10 सितम्बर 2020
    कविता बहुत ही भावुक, मर्मस्पर्शी,चेतना को झंझोड़ने वाली है।आपको लाख बार नमन