!!’’ औरत तेरी यही कहानी ’’!! आंचल मे है दूध, आंखों मे पानी, त्याग, सेवा और बलिदान है तेरी निशानी औरत तेरी यही कहानी। औरत तेरी यही कहानी। तू ममता की देवी है तू मानव की जननी है, पर तेरी सेवा न करते ...
अबला जीवन तेरी यही कहानी,आंचल में दूध आंखों में पानी-मैथलीशरण गुप्त की पंक्तियों की पुनरावृत्ति आपकी रचना में लगती है,कृपया इससे बचें और अन्यथा न लें।वैसे आपकी रचना अच्छी है।
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