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औरत : कैफ़ी आज़मी ³

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तू कि बे-जान खिलौनों से बहल जाती है तपती साँसों की हरारत¹⁷ से पिघल जाती है पाँव जिस राह में रखती है फिसल जाती है बन के सीमाब¹⁸ हर इक ज़र्फ़¹⁹ में ढल जाती है ज़ीस्त²⁰ के आहनी²¹ साँचे में भी ढलना है ...

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औरत : कैफ़ी आज़मी ⁴
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ᗰᗩᕼᗩᗪᗴᐯ 🔱🙏 दिन आखिरी है आज, इस खूबसूरत ज़िन्दगी का, सोच कर यही , आनन्द लेते हैं हर एक पल का ।। live the moment 🤘😁🐼

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