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औरत इतना चाहती है।

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औरत चाहती है, कोई गरम गरम रोटी उसे भी परोसे, बचे रस्से के जगह पनीर भी उसके हिस्से आए, वो भी अच्छे तस्तरी में खाना खाए। जब की बड़ा आश्चर्य है, कि औरत बस इतना ही चाहती है। ...

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लेखक के बारे में
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जूही प्रिया

अपने मन में आए कल्पना को लिख देती हूं । श्रेणी- सामाजिक एवं स्त्री विमर्श।

समीक्षा
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    Neha Mishra
    13 अगस्त 2025
    बहुत सही और क्या खूब लिखा है कि जो औरत चाहती है वो उसके चीखने चिल्लाने या प्यार से मांगने पर भी नहीं मिलता और पुरुषों को वो बिना किसी एफर्ट के मिल जाता है और ये उनके लिए बड़ी बात है भी नहीं, क्योंकि ये तो नॉर्मल है उनके लिए। टेकन फॉर ग्रांटेड। हां लेकिन इस सत्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अपवाद हर जगह है। आज कल बात बस सही इंसान की है चाहे वो स्त्री हो या पुरुष ।
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    Neha Mishra
    13 अगस्त 2025
    बहुत सही और क्या खूब लिखा है कि जो औरत चाहती है वो उसके चीखने चिल्लाने या प्यार से मांगने पर भी नहीं मिलता और पुरुषों को वो बिना किसी एफर्ट के मिल जाता है और ये उनके लिए बड़ी बात है भी नहीं, क्योंकि ये तो नॉर्मल है उनके लिए। टेकन फॉर ग्रांटेड। हां लेकिन इस सत्य से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अपवाद हर जगह है। आज कल बात बस सही इंसान की है चाहे वो स्त्री हो या पुरुष ।