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औरत ही औरत की दुश्मन

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रोज़मर्रा की भाग दौड़ में वक़्त कहाँ चला जाता है पता ही नहीं चलता रोज़ सुबह होती है बहुत सारी उम्मीदों के साथ आकांक्षाओ के साथ कि आज ये करुँगी ऐसा करुँगी  पर कब रात चुपके से दबे पाँव चली आती है और ...

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लेखक के बारे में

कहानी लिखने का शौक हैं पर अब जुनून बन गया है..... जीने के लिए साँस लेना जितना ज़रूरी है मेरे लिए कहानी लिखना उतना ही ज़रूरी है। मेरी कहानी को पढ़ने के लिए और अपना कीमती समय निकाल कर समीक्षा देने के लिए बहुत-बहुत दिल से धन्यवाद। https://drsonikasharma.blogspot.com/?m=1 https://www.facebook.com/111330447372087/posts

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Meenu Gupta
    14 मार्च 2020
    हक़ीक़त को दर्शाती कहानी, पर सारा दोष सास का नहीं पति भी बराबर का दोषी है,,बल्कि ज्यादा दोषी है दूसरी शादी के लिए तो वहीं राजी हुआ ना,,,
  • author
    17 जुलाई 2019
    मार्मिक,काश ऐसा होता की आपकी यह बेहतरीन रचना केवल एक कहानी ही होती सभ्य और आधुनिक समाज की हकीकत नहीं होती
  • author
    शालिनी गुप्ता
    20 मई 2019
    मार्मिक रचना। sonika जी अभी भी हमारे समाज में जाने कितनी औरते हैं जो इतनी घटिया सोच रखती हैं। मैं स्वयं भुक्तभोगी हूँ।
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    Meenu Gupta
    14 मार्च 2020
    हक़ीक़त को दर्शाती कहानी, पर सारा दोष सास का नहीं पति भी बराबर का दोषी है,,बल्कि ज्यादा दोषी है दूसरी शादी के लिए तो वहीं राजी हुआ ना,,,
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    17 जुलाई 2019
    मार्मिक,काश ऐसा होता की आपकी यह बेहतरीन रचना केवल एक कहानी ही होती सभ्य और आधुनिक समाज की हकीकत नहीं होती
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    शालिनी गुप्ता
    20 मई 2019
    मार्मिक रचना। sonika जी अभी भी हमारे समाज में जाने कितनी औरते हैं जो इतनी घटिया सोच रखती हैं। मैं स्वयं भुक्तभोगी हूँ।