सोचता हूँ तेरी यादों को खुद से दूर कर दूं, मगर ये सांसें तेरी यादों से फिर जोड़ देती है कुछ ही दिन पहले की तो बात है। आहिस्ता-आहिस्ता वो मेरी जिंदगी में आई थी। जाने कब वो मेरे ख्वाब से हक़ीक़त में ...
वीरेंद्र जी क्या सचमुच ये सही घटना है जो आपके साथ घटी,और ये कब की बात है मै शिक्षा संकाय के पास क्रांति पल्ली कॉलोनी में ही रहता था और अब वहाँ से थोड़ी दूर बड़ी ग़ैबी में,हमारे समाज में आज भी लड़कियों के साथ दुराचार हो रहा है और हम आप मूकदर्शक हो सब रोज देखते और सुनते हैं सरकारें क़ानून तो बनाती हैं, मगर ये क़ानून सब के लिए नहीं होता. बहुत पाप बढ़ गया है उसी का दुशपरिणाम है जो कोरोना के रूप में हम देख रहें हैं हो सकेगा तो मुझे जबाब दीजियेगा. आप की लेखनी अच्छी है लिखते रहिये, ढेर सारी शुभकामनायें. धन्यवाद
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वीरेंद्र जी क्या सचमुच ये सही घटना है जो आपके साथ घटी,और ये कब की बात है मै शिक्षा संकाय के पास क्रांति पल्ली कॉलोनी में ही रहता था और अब वहाँ से थोड़ी दूर बड़ी ग़ैबी में,हमारे समाज में आज भी लड़कियों के साथ दुराचार हो रहा है और हम आप मूकदर्शक हो सब रोज देखते और सुनते हैं सरकारें क़ानून तो बनाती हैं, मगर ये क़ानून सब के लिए नहीं होता. बहुत पाप बढ़ गया है उसी का दुशपरिणाम है जो कोरोना के रूप में हम देख रहें हैं हो सकेगा तो मुझे जबाब दीजियेगा. आप की लेखनी अच्छी है लिखते रहिये, ढेर सारी शुभकामनायें. धन्यवाद
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