"और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा " फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के मशहूर शेर की इस पंक्ति को याद करते हुए मैं ये कविता अपनी उस मित्र को समर्पित करना चाहूंगी जो आज कल काफी उलझनों के दौर से गुजर रही ...
बहुत ही खूबसूरत लिखा आपने और सच्चाई को लिखा है, बेहद ही उम्दा.....प्रेम जिंदगी कि नींव होता हैं और हम पूरे नेकदिल से जब अपने प्रेम को निभाते है तो अपने प्रेमी या प्रेमिका से भी नेकदिल प्रेम की चाह रखना गलत है क्या ?
जो प्रेम हमारी जिंदगी की नींव होता है, उस प्रेम के बिना जिंदगी कितनी कठिन हो सकती है, इसका अनुमान है दिल दहला देने वाला होता है।
.........................
आपने खूबसूरत लिखने के साथ साथ सच्चाई को बयां किया है।
शुक्रिया जी
🙏🙏🙏🙏
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बहुत ही खूबसूरत लिखा आपने और सच्चाई को लिखा है, बेहद ही उम्दा.....प्रेम जिंदगी कि नींव होता हैं और हम पूरे नेकदिल से जब अपने प्रेम को निभाते है तो अपने प्रेमी या प्रेमिका से भी नेकदिल प्रेम की चाह रखना गलत है क्या ?
जो प्रेम हमारी जिंदगी की नींव होता है, उस प्रेम के बिना जिंदगी कितनी कठिन हो सकती है, इसका अनुमान है दिल दहला देने वाला होता है।
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