pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आऊंगी मैं साथ तेरे

4.9
257

मानवीय भावनाओं को उजागर करती कविता "आऊंगी मैं साथ तेरे" कृपया पढ़कर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ।

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Sayyeda Khatoon

समाज में फैली कुरूतियों और औरतों पर होते हुए अत्याचार को जब- जब पढ़ती देखती और सुनती हूँ मन द्रवित हो जाता है। उनके लिए कुछ न कर पाने की कसक मे स्वत: ही मेरी लेखनी कुछ लिख डालने पर तत्पर हो जाती है । मेरी कविताएँ लेख व टिप्पणियाँ मैगज़ीन का हिस्सा बनती रही है।प्रतिलिपि में प्रकाशित मेरी कविताएँ कन्या भ्रूण हत्या, हमारी फरीयाद,मज़दूर और माँ अनेक मैगज़ीन का हिस्सा बनती रही हैं। ड्रेस डिजाइनिंग, पेंटिंग, चित्रकारी, कढ़ाई- बुनाई व कुकिंग में मेरी बड़ी रूचि है या यूँ समझ ले कि इन क्षेत्रों में मेरी अच्छी पकड़ है। आप सभी का सहयोग व समीक्षाएँ मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है । मेरा निवास स्थान अब उत्तराखंड है 😊😊

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mohan Lal
    24 मार्च 2022
    हसरतें हों गर इश्क़-ए-इलाही, तो इसमें क्या हर्ज़ है। रोना-हंसना हो गर याद-ए-खुदा, यह मर्ज़ भी क्या मर्ज़ है। इश्क़-ए-नूर पैवस्त होकर, शरूर में डूबें हम "मोहन"। फिर रोम-रोम शिरकत है करता, शुक्र-शुक्र होता है अर्ज़।
  • author
    16 जुलाई 2019
    बहुत हीं सुंदर भाव की अभिव्यक्ति । 👌👌
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    15 मार्च 2019
    अत्यंत उत्कृष्ट रचना।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Mohan Lal
    24 मार्च 2022
    हसरतें हों गर इश्क़-ए-इलाही, तो इसमें क्या हर्ज़ है। रोना-हंसना हो गर याद-ए-खुदा, यह मर्ज़ भी क्या मर्ज़ है। इश्क़-ए-नूर पैवस्त होकर, शरूर में डूबें हम "मोहन"। फिर रोम-रोम शिरकत है करता, शुक्र-शुक्र होता है अर्ज़।
  • author
    16 जुलाई 2019
    बहुत हीं सुंदर भाव की अभिव्यक्ति । 👌👌
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    15 मार्च 2019
    अत्यंत उत्कृष्ट रचना।