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आत्मविश्वास

4.8
696

रूठते तो सब हैं ..पर मैं मनाना जानता हूँ.. | बिगड़ती बात को पल में बनाना जानता हूँ || खिले गुलों को रौंदने का हुनर सबको है..| मैं तो पत्थरों में बागबाँ खिलाना जानता हूँ || जिन आँधियों ने उजाड़ें हैं ...

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लेखक के बारे में

प्रभु दो ही चीज मुझे दीजै ..। अधरों से निकली वेणु सुधा और दीजै अपनी चरण रेणु . ....,🙏🙏कौशल किशोर पान्डेय-- - " कौशल " -

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nikhil Kumar
    29 नवम्बर 2018
    शानदार
  • author
    Himanshi Singh
    10 अगस्त 2020
    I have read your poetry, you are truly a great writer. We would like to give you a chance on behalf of our publication house.if u interested then ping me fast.
  • author
    Nanak Chand
    14 फ़रवरी 2020
    इस मरु भूमि में फूल खिलें, संभव है, नहीं कठिन होगा। काँटों के पथ पर चल निकलो, फूलों से भरा चमन होगा।। "नानक"👌👍
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  • author
    Nikhil Kumar
    29 नवम्बर 2018
    शानदार
  • author
    Himanshi Singh
    10 अगस्त 2020
    I have read your poetry, you are truly a great writer. We would like to give you a chance on behalf of our publication house.if u interested then ping me fast.
  • author
    Nanak Chand
    14 फ़रवरी 2020
    इस मरु भूमि में फूल खिलें, संभव है, नहीं कठिन होगा। काँटों के पथ पर चल निकलो, फूलों से भरा चमन होगा।। "नानक"👌👍