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आत्मजा

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आत्मजा मैं हूं मेरा सर्वस्व एक नया युद्ध लड़ने की तैयारी में लड़ती हूं ,मरती हूं एक सृजनात्मक क्रिया की तरह फिर जन्म लेती हूं एक कोंपल की तरह युग बीते जा रहे हैं और कुछ बीत गए मन भावों की क्रांति की ...

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लेखक के बारे में
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Yati Sharma

हम अपने विचारों को कहानी का जमा पहनाते है । कोई पढ़ता है तो सोखद अनुभव होता है ।कोई समीक्षा करता है तो मनोबल बढ़ता है । प्रयास रहता है सबका सब कुछ पड़ लूं ।अगर फॉलोअर्स बनाने पड़े तो साहित्य साधना काम हो जाएगी ।लोगों का दर्द बांटती हूं । जिन्हे भाषा से प्रेम है वह अवश्य पड़ेंगे ।नए दोस्त बने तो और अच्छा लगता है । प्रतिलिपि को आभार ।जिन्होंने हमको ये धरातल में स्थान दिया ।

समीक्षा
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    Snehlata Sharma
    17 जनवरी 2021
    bhut khub
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    Snehlata Sharma
    17 जनवरी 2021
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