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आत्म अवलोकन

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वावन पत्ते की गड्डी में , न जाने कहां पड़ा में  , मैं  तो घुट रहा हूं खेल है अपने यौवन पर , प्रभु , काम आदि आदि , चतुर खिलाड़ी हैं प्रभु ने तो फेंका हौले से , मैं हर पत्ते से पिटता हूं , सत्ता ...

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लेखक के बारे में
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HariMohan Gupta
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  • author
    Shilpi Gupta
    13 सितम्बर 2020
    बहुत खूब
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