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अतिथि सत्कार

4.6
3536

एक दिन राजा विक्रमादित्य नदी के तट पर बने हुए अपने महल से प्राकृतिक सौन्दर्य को निहार रहे थे। बरसात का महीना था इसलिए नदी उफन रही थी और अत्यंत तेजी से बह रही थी। नदी में उठती लहरों और उसकी हा-हा करती ...

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लेखक के बारे में
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राजीव आनंद
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  • author
    Ashraf Ansari
    04 जुलाई 2019
    very nice
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    Ashraf Ansari
    04 जुलाई 2019
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